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जीवन की गाड़ी | How to balance relationships

Sushma Gupta's Blog
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पति- पत्नी जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। निस्संदेह यह जीवन का सत्य ही है कि एक के बिना दूसरे का अस्तित्व ही नहीं । इस गाड़ी को सुचारू व सुखपूर्वक चलाने के लिए प्यार रूपी पेट्रोल की आवश्यकता होती है । यदि एक के द्वारा भी उस पेट्रोल में कमी की गयी अर्थात उसकी पर्याप्त पूर्ति (सप्लाइ) बंद कर दी जाये तो गाड़ी में पेट्रोल रिज़र्व में जाने के कारण गाड़ी तो नहीं ही चलेगी, अपितु आनंद और उल्लास की ओर अग्रसर जीवन की गाड़ी कही दुखों के रिवर्स में नहीं चली जाये। ये ख़तरा उनके जीवन में तत्काल मंडराने लगेगा। इसीलिए जीवन में उन्नति व सच्चा सुख तभी संभव है जब उनके बीच प्यार का पेट्रोल संतुलित रहे ।

परन्तु हाँ यह भी सत्य है, जीवन में प्यार की पूर्णता होने पर भी कभी-कभी स्पीड ब्रेकर की भांति छोटे मोटे अवरोध (परेशानियाँ) तो आते ही रहते हैं। जिन्हें उनको समझदारी के क्लच से सँभालते रहना चाहिये । पर कभी कभी जीवन की गाड़ी सुचारू रूप से अपने गंतव्य की ओर अग्रसर हो रही होती है तो अचानक ही कोई बहुत बड़ी सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों की बाधाओं से भी सामना करना पड़ सकता है। जिनसे गंभीर दुर्घटनाओं से बचने के लिए उन्हें अपनी सोच के स्टेयरिंग को तत्काल ही सही दिशा देनी होगी। निश्चित रूप से जीवन की गाड़ी तभी अपने गंतव्य पर पहुंचेगी जहाँ खुशियाँ उनके कदम चूमेंगी । तब होगा जीवन में आनंद ही आनंद !

उनकी इस आल्हादित जीवन यात्रा को देखकर कोई अकेला निराश मन अचानक ही गुनगुना उठेगा…

“दिल करता है, इन राहों पे हम भी

मंजिल से दूर निकलते

अपना भी कोई जीवन साथी होता

हम भी बहकते बहकते चलते”

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