Menu
blogid : 11910 postid : 10

परिधान में झलकता व्यक्तित्व । Clothes makes the Man

Sushma Gupta's Blog
Sushma Gupta's Blog
  • 58 Posts
  • 606 Comments

परिधान में झलकता व्यक्तित्व । Clothes makes the Man

आज से कई शताब्दी पूर्व मानव ने जब दुनिया में पदार्पण किया, उस समय भी उसे अपने तन ढकने की आवश्यकता प्रतीत हुई। गुज़रते वक़्त के साथ सभ्यता का विकास होता गया, मानव वस्त्र की उपयोगिता को जान गया। कला और संस्कृति के विकास के साथ ही व्यक्ति ने साधारण की अपेक्षा कलात्मक वस्त्र पहनने सीखे। यह उक्ति सत्य ही है कि “वस्त्र व्यक्ति को बनाते हैं” (Clothes makes the man)| निस्संदेह परिधान से व्यक्ति का संपूर्ण व्यक्तित्व प्रभावित होता है। व्यक्ति के पहनावे से ही उसके संस्कार एवेम संस्कृति तथा सामाजिक प्रतिष्ठा का पता सहज ही लगाया जा सकता है। वस्त्रों द्वारा ही व्यक्ति कि अभिरुचि परिलक्षित होती है। वस्त्रों का मन पर भी गहन प्रभाव पड़ता है। भावाभिव्यक्ति के लिए परिधान सर्वश्रेष्ठ साधन हैं। परिधान के द्वारा ही व्यक्ति को समाज में वरियता प्राप्त होती है। आज के युग परिवेश में भोजन की तरह वस्त्र भी मानव के लिए बहुत आवश्यक वस्तु है। परन्तु प्राय: यह बात देखने में आती है की जिन्हें अपनी रूचि के परिधान उपलब्ध नहीं हो पाते हैं उनमे हीन भावना आ जाती है। घर की चारदीवारी में हमने क्या भोजन किया यह तो कोई नहीं जान पाता परन्तु हमारे पहने हुए वस्त्रों को देखते हुए ही हमारी सामाजिक और आर्थिक स्थिति (Status) का पता चल जाता है। अतः परिधान व्यक्ति को जीवन की सभी वस्तुओं से अधिक प्रभावित करते हैं। इनके उचित चयन तथा उपयोग का प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पूर्णतया पड़ता है। यहाँ तक की शारीरिक अवगुणों को दबाकर व्यक्तित्व को सुन्दर बनाने में वस्त्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।


व्यक्ति जो परिधान धारण करता है उसका तो उसके जीवन से नाता सा जुड़ जाता है। परन्तु आज के सामायिक परिवेश में व्यक्ति के लिए “उपयुक्त” Suitable वस्त्रों का चुनाव सबसे कठिन समस्या है। क्योंकि विभिन्न आयु और विभिन्न अभिरुचियों के अनुरूप वस्त्रों का उचित चुनाव करके ही व्यक्तित्व को निखारा जा सकता है, अतः वस्त्रों के चयन के सम्बन्ध में उसके कई पहलुओं पर जांच परख करना चाहिए।

प्रायः हम वस्त्रों के रंग और डिजाईन पर ही अधिक ध्यान देते हैं परन्तु ये नहीं देखते की वस्त्र किस फाइबर से बना है, तथा विभिन्न आयु वर्गों के अनुसार रंगों का चयन भी अलग अलग होता है, जैसे बच्चों पर थोड़े गहरे रंग अच्छे लगते हैं और बड़ों पर थोड़े हलके रंग अच्छे लगते हैं। इसी प्रकार सामाजिक प्रतिष्ठा के अनुसार भी रंगों का चयन किया जाता है। साथ ही मौसम के अनुकूल वस्त्रों का उपयोग करना नितांत आवश्यक है।शरीर के अनुरूप आपके व्यक्तित्व को वे विशेषताएँ प्रदान कर सकें जिसकी आपको आवश्यकता है। ये जानना भी ज़रूरी है की आधुनिकतम (latest) फैशन क्या है।

अतः प्रचलित फैशन तथा नवीन शैली को ध्यान में रखकर परिधान का चयन करें। यदि अपने जो लेटेस्ट परिधान ख़रीदा है वो प्रचलित फैशन का न हुआ तो पहनने वाले को outdated सा बना देगा। इसलिए नए फैशन को बिना सोचे समझे नहीं अपनाना चाहिए।


परिधान चुनते समय यह देखना नितांत आवश्यक है की परिधान की शैली आपकी जीवन शैली से मेल खाती है ये नहीं, क्या वह आपको वही रूप दे सकता है जैसा आप अपने को दिखाना चाहते हैं, क्या वह परिधान जिसको आप पहन रहे हैं, वह आपको गरिमा, प्रतिष्ठा, गौरव, तथा शोभा भी प्रदान करता है या नहीं। शेक्सपीअर ने “The apparel often proclaims the man” कहकर परिधान के महत्व व व्यक्ति की अभिरुचि को दर्शाया है। परिष्कृत अभिरुचि वाले व्यक्ति समयानुकुल वस्त्रों का विवेकपूर्ण चुनाव करते हैं, प्रायः किसी समारोह में जाने पर सुन्दर व शालीन परिधान से सुसज्जित व्यक्ति पर सबकी निगाहे जाती हैं, और उसके व्यक्तित्व का आकर्षण उनके स्मृतिपटल पर अधिक देर तक छाया रहता है।


हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि साधारण वस्त्रो से भी अच्छे परिधान बनाकर व्यक्तित्व की खूबियों को निखारकर उसे अधिक सुन्दर दिखा सकते हैं, इसके लिए उसे अधिक परिष्कृत रूचि का प्रयोग करना होगा, व्यक्तित्व के निखार के लिए शरीर की रचना से परिधान की अनुकूलता देखना आवश्यक है। इसके साथ ही समय और अवसर के अनुकूल परिधान का चयन भी आवश्यक है, सही परिधान का चुनाव करते समय यह देखना होगा की वह बच्चा, युवा, प्रौढ़ किस आयु वर्ग में आता है, क्योंकि जो वस्त्र बच्चो पर अच्छे लगते हैं वो बड़ों पर अटपटे लगेंगे, परिधान चयन में विशेष आयु वर्ग के अनुसार रंगों में भी सावधानी बरतनी चाहिए, त्तात्पर्य है की वस्त्रों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए की परिधान समयोचित हों, औपचारिक अवसरों एवं स्थानों के लिए परिधानों का चयन इस प्रकार हो जिनसे गंभीरता, शालीनता, तथा सौम्यता प्रकट हो।

वस्त्र ऐसे हो जो व्यक्ति की कार्य कुशलता के परिचायक हों, पहनावे के वस्त्र (Dress material ) न बहुत मोटे होने चाहिए न बहुत महीन, पारदर्शी वस्त्रों को सोच विचारकर साथ ही थोडा रूप परिवार्तित करके पहनें। बदलती जीवन शैली में पश्चिमी परिधान आज के संघर्षमय जीवन के ज्यादा अनुकूल माने जाते हैं, लड़के लड़कियों को अपनी पढाई और कार्य स्थल के सम्बन्ध में बड़ी दूरियों को पार करके जाना पड़ता है, कई जगह बसें बदलनी पड़ता हैं, पश्चिमी परिधानों को पहनकर चढ़ना-उतरना भागना-दौड़ना इत्यादि शारीरिक गतिविधियाँ सुविधा से संपन्न होती हैं, इन परिधानों में लचीलापन तथा फिटिंग वाला होने के कारण लम्बे समय तक सुन्दर व क्रीज़ युक्त बने रहते हैं, इसी कारण ये परिधान आजकल अत्यंत लोकप्रिय हो रहे हैं। अतः परिधान खरीदते समय वर्तमान फैशन औए प्रचलित शैली (current style ) का ज्ञान होना ज़रूरी है। बस केवल ध्यान देना होगा कि परिधान का चयन करते समय व्यक्ति के व्यक्तित्व में झलकता निखार तथा सुन्दरता परिलक्षित होती रहे।

निष्कर्षतः सही रूप में देखा जाए तो भारतीय परंपरा के अनुरूप तो आज के सामाजिक परिवेश में भी भारतीय परंपरागत परिधानों को ही वरीयता प्रदान की जाएगी। मूल रूप से इन्ही परिधानों में हमारे भारतीय समाज का गौरव एवं आकर्षण छिपा है। एक भारतीय नारी जितनी सुन्दर एवं लुभावनी परंपरागत (साड़ी, लहंगा, चुनरी तथा सलवार-कमीज़ इत्यादि) परिधानों में लगती है उतनी अन्य किसी वस्त्रो  में नहीं, इस बात को आगे आने वाली पीढियां भी नहीं नकार सकेंगी। भारतीय परिधानों में सादगी, व सुन्दरता जीवंत होकर व्यक्ति के व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देती है। यही कारण है कि आज विदेशों में भी भारतीय वस्त्रों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। निस्संदेह यह कहना उचित ही होगा कि हमारे भारतीय परिधानों में ही व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply