मानव मन अत्यंत रहस्यमय है। जिसे वह स्वयं भी नहीं जानता । वह कौन है, कहाँ से आया, उसका कर्त्तव्य क्या है? यह जिज्ञासा निरंतर उसके मन को उद्वेलित करती रहती है । जिसे शांत करने हेतु उसे अपनी आत्मा को जानना होगा । इस हेतु अनंत साधना के पथ पर चलना ही समस्या का निदान है। निस्संदेह इस हेतु भावातीत ध्यान योग मानव जीवन के लिए कल्प वृक्ष सदृश्य ही है ।
व्यक्ति इस ध्यान योग को अपनाकर इसकी वैज्ञानिक पद्धति को जानकर जीवन में तानाविन कुंठाओं व मनोशारीरिक बिमारियों से पूर्णतया छुटकारा पा सकता है । अनिद्रा जैसे रोग के लिए यह एक अचूक औषधि सदृश है। अतः भावातीत ध्यान उत्तम स्वास्थ्य की तो चाबी ही है, क्योंकि आज के जीवन में बढ़ते तनावों दबावों के कारण उच्च रक्त चाप तथा चयपचय की दर ( मेटाबोलिक रेटस ), गहन विश्राम देकर व्यक्ति को सामान्य बनाता है ।
भावातीत ध्यान द्वारा स्कूली बच्चों से लेकर दफ्तरों में कम करने वाले व्यक्तियों, शिक्षकों, वकीलों, व्यापारियों, राजनीतिज्ञों, अदि सभी वर्गों के लोगों की मानसिक क्षमता कई गुना बढने के परिणाम सामने आये हैं । यही नहीं सेना के जवानों के लिए भी आत्मबल और अद्भुत शक्ति का संचार करने में भी ध्यान की उपयोगिता सिद्ध हुई है।
यदि हम मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो ज्ञात होता है की व्यक्ति अपनी वास्तविक कार्यक्षमता का 5 से 15 प्रतिशत ही उपयोग कर पता है जबकि भावातीत ध्यान द्वारा व्यक्ति की 100 प्रतिशत क्षमता को बढाया जा सकता है, जिससे स्वाभाविक रूप से व्यक्ति की कार्यक्षमता कई गुना बढ़ जाती है। इस बढ़ी हुई कार्यक्षमता को पाने हेतु व्यक्ति को मात्र 15 से 20 मिनट तक प्रतिदिन भावातीत ध्यान के अभ्यास की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं ध्यान के द्वारा शराब व अन्य नशों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
भावातीत ध्यान की जानकारी व शिक्षा भारतीय संस्कृति पर आधारित एवं पूर्णतया वैज्ञानिक है। जिसे दो दशकों से भी अधिक समय से विद्यालयों के माध्यम से देश विदेश के छात्र-छात्राओं को भी दिया जा रहा है। जिसका लाभ प्रत्यक्षः देखने को मिलता है। आज पर्यावरण असंतुलन के दौर में कई कृषि वैज्ञानिक, चिकित्सक, प्रशासनिक अधिकारी व अन्य जन-सामान्य लोग भी ध्यान का प्रक्षिक्षण पाकर ध्यान का लाभ उठा रहे हैं।
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