Sushma Gupta's Blog
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जीवन में दीपों की ज्योति झलके,
मंगलमय- मंगल कलश छलके
बुद्धि विधाता बैठे मन आसान पर
रहें सदा अंतरमय शुभंकार बनके
साथ रहें सदा रिद्धि- सिद्धि भी
हर जन के हर घर आँगन में
ज्योति से ज्योतिर्मय हो मन मुस्कुराएँ
हृदय में सुखों की आस बनके
दुर्भावनाओं का अंधियारा मिटे
मानस मन के जीवन पटल से
चहु ओर दीप पर्व पर आशा दीप जलें
खुशियों के मेले में सब खो जाएँ
एक अंजान मुसाफिर बनके
सार्थक है इन दियों सा जीवन
रोशन करते जो तिल तिल जलके
हे प्रकाश पुंज आ जाओ तुम, मन भटके
दिख्लादो तुम ही युग पुरुष बनके
मिटादो रावण- तम के भ्रस्टतंत्र को
एक अप्रतिम सी ज्योति बनके
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