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गुडिया की कहानी…

Sushma Gupta's Blog
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बचपन में, मेरी थी प्यारी सी इक गुडिया,
मेरे संग वो सोती, जब मैं लोरी गाती बढ़िया,

ब्याह रचा दो इसका, एक दिन बोली एक सहेली,
मेरा गुड्डा, तुम्हारी गुडिया की, जोड़ी है अलबेली,

शादी के बाद जाएगी, गुडिया रानी अपनी ससुराल,
देकर कुछ दहेज़ विदा करना, गुडिया रहेगी खुशहाल,

नन्ही सी गुडिया पहने पायलिया, पायलिया बाजेगी छमछम,
आएगी बारात नाचेंगे बाराती, बोलेगी ढोलकिया ढम ढम,

बातें उसकी सब मानी, पर गुड़िया का जाना दिल न सहेगा,
विवाह कर दूंगी अपनी गुडिया से पर गुड्डा यहीं रहेगा,

क्रोधित हो बोली वो, सखी तुम तो हो बड़ी सयानी,
मेरे घर में ही गुड्डे के संग हरदम रहेगी गुडिया रानी,

आज जब सचमुच मैं, जान गयी जीवन की यह रीत,
बड़ी होकर चली गयी वो, सजना संग छोड़ सारी प्रीत,

तुम दोनों को प्यार भरा आशीष, इसे समझना इक गहना,

समझा लुंगी मैं अपने मन को, तुम दोनों सदा खुश रहना


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