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माँ तुझसे ही बना ये अद्भुत जहान
हम संतानों को तू ईश्वर का वरदान
जब विपदा में ईश्वर को हम बुलाते
उसके रूप में तब माँ तुम्हें ही पाते
केवल माँ ही दुनियाँ में सबकी होती
यही शास्वत सत्य माँ से स्रष्टीचलती
मत भूलो कोई एक मात-दिवस नहीं
माँ आदि-शक्ति ‘शाश्वती’ है कहाँ नहीं
माँ हर-पल संतान की तू रक्षा करती
संतान-सुख चाहत में मरके भी जीती
माँ तुझसे ही यह जीवन की फुलबारी
तभी तो माँ तू सारे जग से है ‘न्यारी’
वेटा या वेटी ,तेरी ममता सबपे बारि
इसीकारण माँ जगत में सबसे ही प्यारी
पर माँ आज जगत में नारी है उपेक्षित
भ्रूण-हत्या से मिटा देने को हैं आप्लावित
इस धरती का बोझ नहीं,ये श्रष्टी-रचयिता
नहीं होगी यदि नारी तो होगी शून्य ‘धरा’
प्यारी माँ तू ही तो सबको है जीवन देती
पर हे माँ तू जीवन में कितने दुख सहती
माँ तू बिपदा की धूप में शीतल चंदन सी
माँ तू खग-व्रन्दो में मुखरित कलरव सी
माँ तो पुष्पित-पल्लवित नंदन-कानन सी
सत्य’माँ’ तू ही तोहै प्रभु-पूजन-आनंद सी
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