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‘सावन का गीत’

Sushma Gupta's Blog
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अबके वरस सखी जब सावन है आया,
अपने अंगना-पलना नव-लाल पौडाया.
मन-मयूर नाच उठा, तन भी पुल्काया,
आकर कान्हा ने निज-बाल-रूप दिखाया,
अबके वरस सखी जब सावन है आया,
रिमझिम करती बूँदों ने रंग खूब जमाया 
डालोपे झूलों ने ललना को खूब झुलाया 
झूला-झुला नन्हे को माँ ने भी दुलराया 
लाख बलैइयाँ लेके काला तिलक लगाया 
अबके वरस सखी जब सावन है आया..
फ़िज़ामें खुशवू घोल,सारा आलम नहाया 
सातों पवनों ने सात-स्वरों को बनाया 
उमड़-घूमड़ मेघो ने मधुर मल्हार गाया 
हरी-भरी धरती पे वर्षा ने रंग जमाया.
अबके वरस सखी जब सावन है आया..
‘नव-शिशु’ की किलकारी ने मन हर्षाया 
सावन में पावन अपना अंगना मन-भाया 
आज मन-बगिया का फूल खिल मुस्काया 
नव-उदित इक फूल ने सभी को लुभाया
अबके वरस सखी जब सावन है आया ..
कोयल ने कू-कू बोल मीठा राग सुनाया 
पापिहे की पिहु-पिहु ने सबका मन हर्षाया,
कलरव कर नन्ही चिड़ियोंने घर चहकाया 
खुशियों से सराबोर हो जग आज सुहाया 
अबके वरस सखी जब सावन है आया ..
आशीष दे रहे देवगन बोल नमः शिवायः 
माता-पार्वती ने पुलकित हो गोद उठाया 
जुग-जुग जियो लाल यही प्रभु की माया 
‘अपने-अंगना’में तूने सबका मान वदाया
अबके वरस सखी जब सावन है आया ..

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