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एक उन्मुक्त से आकाश तले
मेरे सपनों का भारत है पले
जात-पात, छूआ-छूत न हो
खुशी-खुशी मिल-जुल कररहें
अमीर-ग़रीब में फ़र्क न दिखे
हर घर में सांझा चूल्हा जले
सूखी रोटी में मीठे स्वाद पगे
आपसी भाईचारों में मेल जगे
शिक्षा के अधिकार के अवसर
बेटी-बेटे को एक समान मिले
स्वरोजगार का उजाला ही दिखे
फिर न कोई वेरोज़गारी से मरे
सबको एक प्यारा सा घर मिले
अब न कोई फुटपाथ पर पले
चरित्र व संस्कारों में सदा आगे
जहाँ में स्वदेश का सम्मान वढे
चारों दिशा खुशियों की हरियाली हो
झूमती बालें, फसलें भी लहराती हो
अब न दिखे नंगा-भूखा इन्सा कोई
भूखा न सोए कोई सबका पेट भरे
अब बचपन खुशहाली में सबका बीते
उदासी न हो हरमुख पे मुस्कान खिले
माँगने की बुरी आदत से हर कोई बचे
मेरे देश का युवा मेहनत से आगे बढ़ें
भारत की बेटी पग-पग उन्नति करें
बेटा-बेटी मुल्क में एकसमान ही रहें
आधुनिकता की अंधी-दौड़ से दूर रहें
कुरीतीयो, कुसंस्कारो से कोसो दूर रहें
राह की मुश्किलो को मिल-जुल सहें
फिर प्यार की पौध से वट-वृक्ष बने
भारत को कोई फिर न भ्रष्ट-तंत्र कहे
भ्रष्टाचारियों को केवल मृत्युदंड मिले
न पड़े एफ डी आई की भी ज़रूरत
विदेशों से बापस काला धन आ जाए
सबकी एकता से आज़ादी कायम रहे
एकबार फिर देश सोने की चिड़िया बने
और फिर मेरे सपनो का भारत बने ..
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