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“मेरे सपनों का भारत”

Sushma Gupta's Blog
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एक उन्मुक्त से आकाश तले

मेरे सपनों का भारत है पले

जात-पात, छूआ-छूत न हो

खुशी-खुशी मिल-जुल कररहें

अमीर-ग़रीब में फ़र्क न दिखे

हर घर में सांझा चूल्हा जले

सूखी रोटी में मीठे स्वाद पगे

आपसी भाईचारों में मेल जगे

शिक्षा के अधिकार के अवसर

बेटी-बेटे को एक समान मिले

स्वरोजगार का उजाला ही दिखे

फिर न कोई वेरोज़गारी से मरे

सबको एक प्यारा सा घर मिले

अब न कोई फुटपाथ पर पले

चरित्र व संस्कारों में सदा आगे

जहाँ में स्वदेश का सम्मान वढे

चारों दिशा खुशियों की हरियाली हो

झूमती बालें, फसलें भी लहराती हो

अब न दिखे नंगा-भूखा इन्सा कोई

भूखा न सोए कोई सबका पेट भरे

अब बचपन खुशहाली में सबका बीते

उदासी न हो हरमुख पे मुस्कान खिले

माँगने की बुरी आदत से हर कोई बचे

मेरे देश का युवा मेहनत से आगे बढ़ें

भारत की बेटी पग-पग उन्नति करें

बेटा-बेटी मुल्क में एकसमान ही रहें

आधुनिकता की अंधी-दौड़ से दूर रहें

कुरीतीयो, कुसंस्कारो से कोसो दूर रहें

राह की मुश्किलो को मिल-जुल सहें

फिर प्यार की पौध से वट-वृक्ष बने

भारत को कोई फिर न भ्रष्ट-तंत्र कहे

भ्रष्टाचारियों को केवल मृत्युदंड मिले

न पड़े एफ डी आई की भी ज़रूरत

विदेशों से बापस काला धन आ जाए

सबकी एकता से आज़ादी कायम रहे

एकबार फिर देश सोने की चिड़िया बने


और फिर मेरे सपनो का भारत बने ..


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