Sushma Gupta's Blog
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एक उन्मुक्त से आकाश तले
मेरे सपनों का भारत है पले
जात-पात, छूआ-छूत न हो
खुशी-खुशी मिल-जुल कररहें
अमीर-ग़रीब में फ़र्क न दिखे
हर घर में सांझा चूल्हा जले
सूखी रोटी में मीठे स्वाद पगे
आपसी भाईचारों में मेल जगे
शिक्षा के अधिकार के अवसर
बेटी-बेटे को एक समान मिले
स्वरोजगार का उजाला ही दिखे
फिर न कोई वेरोज़गारी से मरे
सबको एक प्यारा सा घर मिले
अब न कोई फुटपाथ पर पले
चरित्र व संस्कारों में सदा आगे
जहाँ में स्वदेश का सम्मान वढे
निज एकता से आज़ादी कायम रहे
फिर से देश सोने की चिड़िया बने
और फिर मेरे सपनो का भारत बने …
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