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इस धरती पर प्रकृति -प्रदत्त यदि सबसे ही खूवसूरत कोई चीज़ है तो बह है ”फूल”, इन फूलो के रहते ही तो धरती को स्वर्ग भी कहते है, इन
सुंदर मन को सुख देने बाले फूलों की न तो कोई जाति है और न कोई
धर्म, उनका तो बस एक ही कार्य है ,सभी को समान सुख देना, ये ग़रीब
और अमीर में भेद नहीं करते, ये तो मुसीबतों मे भी मुस्कुराना सिखाते
हैं, जैसे फूल कांटों में भी खिलता है और कीचड़ में भी अपना सौंदर्य नहीं
खोता , ठीक बैसे ही इनसे प्रेरित होकर मनुष्य भी मुसीबतों में अपना धैर्य
नहीं खोता और अपने चारो ओर बुराइयों के होने पर भी सदमार्ग पर ही
चलता है, परंतु आज के चुनावी बातावरण में इन फूलों की बर्वादि देखके
मान में व्यथा और आक्रोश होता है, क्योंकि कुछ बड़े चुनावी-दल स्वयं का
वर्चस्व दिखाने के लिए इन निरीह फूलों से खिलवाड़ कर रहें हैं, वे अपने
प्रचार के लिए जिन राहों से गुज़रते हैं , उन राहों पे फूल बिछवाते हैं, और
फिर अपने पाँवों से रौन्द्ते हुए आगे बद जाते हैं , ऐसा वे इसलिए भी करते
हैं कि उन अधिकांश टूटी और गंदी सड़को पर जनता का ध्यान ही ना जाए
और तो और हज़ारों- लाखों किलों फूलों की उन नेताओं के कद से कई गुना
बड़ी फूल मालाएँ [जिन्हे वे पहन लें तो उनकी गर्दन पल में ही लटक जाएगी]
अनेकों सेवकों से उठवाकर उसके बीच में खड़े होकर मात्र फोटो खिचबाकर
अपने वर्चस्व को दिखाने की हसरत को पूरी करते हैं, ऐसे विवेकहीन नेताओं
के द्वारा न सिर्फ़ जनता का पैसा वर्वाद किया जाता है, बल्कि इन सुंदर व
अनेकों प्रकार से उपयोगी फूलों को भी वर्वाद कर डालते हैं, जबकि इन फूलों
से ही विभिन्न प्रकार की औषधिययों, अनेको किस्म के तेलों व सुगंधों का भी
निर्माण होता है , जिससे देश को आर्थिक संबल मिलता है .. मित्रों, पहले ही
देश का अधिकांश धन अपनी ही झोलियों में भरके कुछ मुट्ठीभर नेता इसे
”सोने की चिड़िया” कहलाने से वंचित कर चुकें हैं …अब कहीं ये बदमिज़ाज
कुछ नेता ‘धरती की सुंदर वादियों’ में उत्पन्न इन फूलों को चुनाब से पूर्व ही
इतनी बड़ी मात्रा में बर्वाद कर रहें तो फिर ”जीत” के बाद तो इस धरती को
फूलों से वीरान ही न कर दें…तो फिर आइए हम सब मिलकर यही मुहिम
चलाएँ कि जो भी नेता इन फूलों का दुरुपयोग करेगा उसे हम अपना मतदान
कदापि नहीं करेंगे …तभी तो हम अपने गुलिस्ताँ को बचाके ही हिंदोस्ताँ को
भी बचा सकेंगे…
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