Sushma Gupta's Blog
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शिक्षक तुम ही जीवन के ‘सूत्रधार’ हो
शिक्षा की ज्योति से भरते ‘संसार’ हो
शिक्षक तुम ही तो एक ‘शिल्पकार’ हो
गड़ते तुम तो भविष्य के ‘कर्णधार’ हो
शिक्षक तुम तो सच्चे ‘जीवनाधार’ हो
प्राण फूँकते ‘प्रज्ञा’ से, प्राणो के सार हो
शिक्षक तुम आत्म-वल,औ सम्मान हो
गौरव-विकास देश के ही’शक्तिमान’ हो
शिक्षक तुम धरा से नभ तक’पहचान’हो
विज्ञान से ग्रहों तक जाने बाले महान हो
शिक्षक तुम ‘प्रज्ञा-उपवन’ के ‘माली’ हो
रंग-बिरंगी दुनियाँ की खिलती ‘जान’ हो
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