Sushma Gupta's Blog
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एक सुखद एहसास लिए
नई रोशनी की तलाश में
अंतर की व्यथा को छिपा
अधरों पे मुस्कान लिये
सपने अधूरे ही सजाके
नव कामनाओं के हार ले
नाजाने कितने युगों से
राह देखती तुम्हारी
आज मानवता फिर से
हो उठी है ‘उत्साहित’
हे,”नूतनवर्ष”स्वागतम
हर घर के आशियाने में
अब हो तेरा अप्रतिम वसेरा
और हो एक नया सवेरा
सबकी आशाएं परिपूर्ण हों
जीवन से दुःख दूर हों
‘स्वागतम’,” सुस्वागतम ”
”नूतन वर्ष” तुम्हारा
-द्वारा- सुषमा गुप्ता
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